Yug Purush

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8TH SEMESTER ! भाग- 61 ( Meditation -3| A Call)

"नही जाउन्गा, बोल क्या उखाड़ लेगा..."अपना अंदर धंसा हुआ सीना चौड़ा करते हुए भू बोला....

"अबे डेढ़ फुटिया , जितना तेरा बाइसेप्स है ना...उससे ज़्यादा मोटा मेरा वो  है...भाग जा यहाँ से वरना मूह मे घुसा दूँगा...."

"तु भाग ,वरना यही पटक कर कपड़े की तरह धोउंगा..."

"तू साले ऐसे नही मानेगा..."बोलते हुए मैने bhu को  उठाया और उसे सीधे रूम के बाहर फेक दिया  "साला, कोई भी जुबान लड़ाने लगता है..."

जैसे-जैसे एग्जाम्स  के दिन पास आ रहे थे,वैसे-वैसे ठंड भी बढ़ने लगी थी... कई  साल पहले सर्दी के मौसम की एक बड़ी असरदार कहावत सुनी थी मैने और वो ये थी कि....सर्दी के मौसम मे नींद बहुत झक्काश आती है, एक बार जो सोए तो फिर उठने का मन ही नही करता...लेकिन ये झक्कास नींद उसे ही आती है,जिसके पास रहने के लिए घर हो और ठंड से बचने के लिए रज़ाई या कंबल....जिसके पास ये होता है,वो मस्त आराम की नींद लेता है और जिसके पास ये दोनो चीज़ नही होती वो ऐसा सो जाता है कि फिर कभी उठता ही नही.... खैर, मेरे पास रहने के लिए घर और ओढ़ने के लिए कंबल ,दोनो थे...इसलिए मुझे तो नींद झक्कास वाली ही आनी थी..... जो की बराबर आयी भी.

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उस दिन के बाद मैने एक दिन भी कॉलेज के दर्शन नही किए, दिन भर या तो रूम मे पड़ा रहता या फिर सिदार  के साथ बैठकर गप्पे मारता, इस वक़्त ना तो मेरे पास ऐश  थी, ना ही दीपिका मैम  और ना ही विभा....इन तीनो का एग्जाम्स  से कुछ दिन पहले मेरे आस-पास ना होना मेरे लिए बहुत फ़ायदेमंद साबित हो सकता था, क्यूंकी इस सिचुयेशन मे मैं सिर्फ़ सोता,ख़ाता ,पीता और हिलाता... अपने मन को 😌. इन सबके बावज़ूद इतना समय बचता  था कि मैं जबरदस्त तरीके से हर एक सब्जेक्ट की तैयारी कर सकता था , लेकिन मैने बिल्कुल भी ऐसा नही किया....मैं हर दिन सुबह से शाम हॉस्टल  के बाहर की हरियाली मे टहलता रहता और पढ़ने की बजाय , मैं क्यूँ नही पढ़ता इसकी वजह ढूंढता रहता.....
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और जब सेकेंड क्लास टेस्ट शुरू हुए तो मैने बहुत ज़ोर से कुल्हाड़ी अपने पैर पर मारी, मैने एक भी टेस्ट नही दिया....मैं जानता था कि ये सब ग़लत है,मुझे ऐसा नही करना चाहिए.. .ऐसा करके मैं खुद को खाई की तरफ धकेल रहा हूँ....मैं सब कुछ जानता था और हर तरीके से जानता था ,लेकिन मैने फिर भी वही किया जो मुझे नही करना चाहिए था.....

मैने पूरा का पूरा सेकेंड इंटरनल टेस्ट  अटेंड नही किया, अरुण हर दिन एग्जाम्स  देकर आता और मुझे गालियाँ बकता , लेकिन मैने उसे झूठ कह दिया था कि मेरी तबीयत बहुत खराब है,बैठने तक की हिम्मत नही है....अरुण कोई दूध पीता बच्चा नही था, वो जानता था कि मैं सिर्फ़ बहाना मार रहा हूँ,लेकिन वो मुझे बोलता भी तो कितना,.. .उसने मुझे धमकी भी दी कि यदि मैं अगले पेपर से कॉलेज नही गया तो मेरे घर कॉल करके सब बता देगा....
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जब कुल्हाड़ी मार ही ली थी तो फरसा मारने मे क्या जाता है, अबकी बार मैने फरसा मारते हुए उससे कहा कि ,यदि उसने मेरे घर कॉल किया तो मैं उसके घर कॉल करके बता दूँगा कि वो रोजाना गर्ल्स हॉस्टल  मे छुप छुप कर जाता है और एक दो बार पकड़ा चुका है. .बस फिर क्या था,बात बन गयी, हमारे बीच ये डील फिक्स हुई कि ना तो मैं उसके घर कॉल करूँगा और ना ही वो मेरे घर कॉल करेगा...मेरा एग्जाम्स  फॉर्म भी उसी ने भरा और एग्जाम्स  के दो दिन पहले वो अड्मिट कार्ड मुझे देते हुए बोला...

"एग्जाम्स  कब से है, मालूम है ना..."

"दो दिन बाद..."

"फर्स्ट पेपर सिविल का है..."

"चल बाइ, थैंक्स ...आता हूँ सिगरेट फूक के..."

उसके हाथ से अड्मिट कार्ड लेकर मैने ऐसे ही टेबल पर फेक दिया और रूम से निकल कर सीनियर हॉस्टल  की तरफ बढ़ा....कुछ दिन से मैं अपने सीनियर्स के साथ रात रात भर रहता और जो मन मे आता, जैसा मन करता वैसे ही  करता...सोने और जागने का कोई टाइम नही था.. .जब नींद लगे तो मेरे  लिए वो समय रात हो जाती थी और जब आँख खुले तो वो meri सुबह....उस वक़्त मैने दुनिया के हिसाब से ना चलकर ,एक खुद की पर्सनल दुनिया बना ली थी,जिसमे सिर्फ़ और सिर्फ़ मैं था, मेरे मन मे जो भी आता, वो मैं करता....मेरे ऐसा करने पर दूसरो पर क्या एफेक्ट करता है, उससे मुझे कोई लेना -देना नही था,....

तभी मेरे मन मे विचार आया की.. क्या हो अगर मै इस दुनिया के अंदर ही अपनी एक दुनिया का निर्माण कर लू...? मेरा मतलब अपने मन मे... अपने मन मे अपनी जबरदस्त imagination power का इस्तेमाल करके एक imginary world बनाता हूँ.. उसमे कॉलेज मे रहेगा, कॉलेज के स्टूडेंट्स भी... ईशा भी और दीपिका भी... इस ख़याली दुनिया मे ईशा का बॉयफ्रेंड मै खुद को बनाऊंगा... Wow.. Nice idea...  खुद को The Originator की उपाधि से सम्मानित भी करूँगा...

The  Originator... मतलब... ~प्रवर्तक....🤴 (Source of Creation)
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यही करते हुए, सोचते हुए दिन और भी जल्दी -जल्दी बीतने लगे  और एग्जाम्स   मे  अब सिर्फ़ एक दिन बचा था, रात को सोचा कि अपुन तो ब्रिलियेंट है,एक दिन मे ख़त्म कर दूँगा और ठीक -ठाक नंबर आ जायेंगे .. पर उस दिन मैं पूरे 12 घंटे तक सोया और सुबह जब नींद खुली तो एक डर  ने मुझे घेर रक्खा था...मैने उठते ही अरुण से, जो कि इस वक़्त बुक खोलकर बैठा हुआ था, उससे मैने टाइम पुछा..

"अभी सुबह के 4 बजे है, और सोजा...जब 12 बज जाएँगे तब मैं उठा दूँगा...."

"अबे टाइम बता ना..."

"10 बजे है..."

"अरे यार , कल पेपर है और अभी तक कुछ पढ़ा नही....तू एक काम कर, मैं जब तक बाथरूम से आता हूँ,तू मेरी बुक पकड़ और इंपॉर्टेंट क्वेस्चन्स मार्क कर दे..."

"हेलो...."मैं बिस्तर से नीचे उतर ही रहा था की अरुण बोला"मेरे पास इतना टाइम नही है...अभी पूरा का पूरा 3 यूनिट बाकी है..."

"एक यूनिट मे मार्क कर दे भाई,  1 मिनट. लगेगा..."बोलते हुए मैं रूम से बाहर आया...

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उस दिन एक नयी चीज़ मुझे पता चली...और वो ये कि मैं रत्ती भर भी होशियार नही हूँ, एक क्वेस्चन एक घंटे मे याद हो रहा था और उसके बाद यदि आगे के दो चार पढ़ लो, तो साला पीछे क्या याद किया था, वो याद नहीं रह रहा  था....बीच बीच मे मैं बुक के राइटर की,क्लास की टीचर की माँ-बहन करता और जब मन फिर भी नही भरता तो अरुण को गाली देता.... इसका नतीज़ा ये हुआ कि अरुण ने कान मे हेडफोन लगाया और फिर पढ़ने लगा... .

मेरी हालत बद से बदतर हुई जा रही  थी , क्यूंकि शाम के 7 बज गये थे, लेकिन अभी सिर्फ़ एक ही चैप्टर  याद हुआ था और उसमे भी कोई गारंटी नही थी कि उस चैप्टर  के क्वेस्चन यदि एग्जाम्स  मे आए तो बन ही जाएँगे......वाकई मे उस वक़्त मुझे वो दिन याद आने लगे ,जिसे मैने यूँ ही बर्बाद कर दिया था, अब मुझे अहसास होने लगा था कि कल के पेपर मे मैं ज़िंदगी मे पहली बार फेल  होने वाला हूँ.....
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"फेल..."ये  एक ऐसा शब्द था, जिससे मुझे नफ़रत तो नही थी,लेकिन फिर भी ये मुझसे आज तक दूर ही रहा,...मैने कई  लड़कों की मारक्शीट मे लाल स्याही से ये वर्ड छपा हुआ देखा है ,लेकिन अपने करीब इस शब्द को  कभी नही पाया,...उस वक़्त मुझे सिर्फ़ और सिर्फ़ एग्जाम्स  नज़र आ रहा था. दीपिका मैम , विभा और ऐश  का यदि ख़याल भूल के भी आ जाता तो मैं चिल्ला -चिल्ला कर इन तीनो को गाली देता और कहता कि इन्ही सालियो ने मेरा पूरा समय बर्बाद कर दिया...ना ये तीनो मुझे दिखती और ना ही मैं ऐसे लफडे मे फँसता.... इन  तीनो का मर्डर कर देना चाहिए....
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उस एक वक़्त मैं सच मे थोड़ा पागल हो गया था, जहाँ मुझे मोटिवेशन की ज़रूरत थी मैने वहाँ गालियों और सिगरेट से काम लिया....कई  बार तो ये ख़याल आया कि कहीं भाग जाता हूँ और सीधे एग्जाम्स  के बाद आउन्गा, लेकिन इसका कोई फ़ायदा नही था... क्यूंकी नेक्स्ट सेमेस्टर मे मुझे फिर  12 पेपर्स देने पड़ते, उस वक़्त मैने पढ़ने के सिवा सब कुछ किया, पढ़ाई मे ध्यान लगे इसलिए आँखे बंद करके तीन-तीन बार गायत्री मन्त्र, सरस्वती मंत्र भी पढ़ा...लेकिन सब बेकार.... जैसे जैसे रात हो रही थी, मैं उस रात की गहराई मे पागलो की तरह समाता जा रहा था, उस वक़्त मैं ऐसा बन चुका था कि यदि कोई मुझे मेरा नाम लेकर भी पुकारे तो मैं उस साले की वही ऑन दा स्पॉट ,हत्या कर दूं.....लेकिन उसके पहले मेरी हत्या करने के लिए एक कॉल आया....

"कल से एग्जाम्स  शुरू है..."

"हां..."मैने जवाब दिया

"सब कुछ पढ़ लिया..."

"नही... लास्ट का कुछ बचा है...."

ये मेरी मॉम की कॉल थी, जिन्होने एग्जाम्स  के ठीक 43 हज़ार 200 सेकेंड्स पहले मुझे कॉल किया था, यानी की रात के 10 बजे...उस वक़्त ले देके कैसे भी करके मैने 2 चैप्टर  कंप्लीट किया था...लेकिन हालत आयाराम और गयाराम वाली थी...यानी कि उस वक़्त एक क्वेस्चन कोई पूछ  दे उन दो चैप्टर मे से  तो उसका जवाब देने के लिए भी  मुझे एक बार  बुक देखना पड़े....

"माँ कसम.... क्या हालत हो गई  है मेरी...."मैं उस वक़्त भूल गया था कि लाइन पर दूसरी तरफ भी कोई है...

"क्या हुआ अरमान..?"

"कुछ..कुछ नही..."घबराते हुए मैं बोला"सब ठीक है, "

"ठीक है फिर,अच्छे से पेपर देना और हां ,वो पांडे जी की बेटी से ज़्यादा नंबर लाना.."

"ओके.....और कुछ.."

"और सुन, "इसके बाद उनकी उस लाइन ने मेरा कलेज़ा फाड़ के रख दिया ,"बदनाम मत करना, कल ही तेरे पापा अपने दोस्त के सामने तेरी बड़ाई  कर रहे थे कि तू अभी तक अपने स्कूल मे टॉप मारते आया है और कॉलेज मे भी यही सिलसिला तु जारी रखेगा "

"हाा.. ना ... माँ ....."

"चल ठीक है...खाना खाया..."

"ना...हां..ना...धत्त तेरी, हां खा लिया...अब रखता हूँ, "

उसके बाद जैसे जिस्म मे बहता खून सूख गया हो, मेरी हालत और खराब हो गयी और मैं अपने बाल नोचते हुए ज़ोर से चिल्लाया....मैने रूम के सारे सिगरेट के पैकेट्स को एक जगह रक्खा और उस पर माचिस मार दी , उस वक़्त मैं उन सबको कारणों  को दोषी ठहरा रहा था,जिन्होने मुझे अभी तक पढ़ने नही दिया था....सिवाय खुद के, जबकि मेरे ना पढ़ने का सबसे मुख्य कारण मै खुद था.....

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4 Comments

Barsha🖤👑

26-Nov-2021 05:59 PM

बहुत सुंदर भाग

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Seema Priyadarshini sahay

29-Sep-2021 04:27 PM

Wow..Well pened

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Fiza Tanvi

27-Sep-2021 09:18 PM

Good

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